Custom Search

Saturday, August 15, 2009

Interview with Playback Singer Sharda on Vividh Bharti (13.9.09)


चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी




Sharda had made her grand debut in hindi film industry with the movie-Suraj, the music for which was composed by arguably the best and most popular ever MDs in HFM: Shankar - Jaikishan.(शंकर-जयकिशन से सम्बन्धित विस्तृत, दिलचस्प जानकारी की लिंक्स के लिए क्लिक करें - शंकर-जयकिशन)

उजाले उनकी यादों के
------------------------------------------------------------
विविध भारती पर प्रसारित पार्श्व गायिका शारदा का साक्षात्कार
************************************************
एपिसोड 1 (13/09/2009)
---------------------------
श: शारदा
यूख़ा: यूनुस ख़ान

यूख़ा: उजाले उनकी यादों के. आज से इस कार्यक्रम में हम एक शृंखला शुरू कर रहे हैं जिसमें हम जानी मानी पार्श्व गायिका शारदा से बातचीत करेंगे. इस बातचीत में गुज़रे ज़माने के बड़े ही अनमोल नग़मे सुनवाए जाएँगे और आप गायिका शारदा को करीब से पहचान पाएँगे. तो आइए सुनते हैं जानी मानी पार्श्व गायिका से आपके इस दोस्त यूनुस ख़ान से बातचीत की पहली कड़ी. इनका नाम ज़ेहन में आते ही बहुत सारे मीठे गाने गूंजने लगते हैं. तो बहुत-बहुत-बहुत स्वागत करते हैं शारदा जी का जो बहुत-बहुत-बहुत दिनों बाद विविध भारती के 'स्टूडियोज़' में आईं हैं.

श: हलो-हलो-हलो, नमस्ते एवरिबडी

यूख़ा: शारदा जी, आपकी याद आती है और ज़ेहन में तितलियाँ उडने लगती हैं. ऐसा क्यों है?
श: जी, "तितली उड़ी" 'सॉंग' से ही सब ने मुझे याद रखा है.

यूख़ा: उसकी तो हम बात करेंगे ही, लेकिन जहाँ तक मुझे याद आता है तकरीबन 43-44 साल पहले का गीत है
श: जी हां, बिल्कुल सही है.

यूख़ा: उसकी तो हम बात करेंगे, लेकिन पहले बताइए कि तमिलनाडु की शारदा जी मुंबई कैसे आ गयीं?
श: जी यह तो समझिए की एक इत्तफ़ाक़ है. मैं पहले से हिन्दी फिल्मों के गीत गाया करती थी...

यूख़ा: जैसे? आपके पसंदीदा कौन से गाने थे?
श: मुझे नूरजहाँ के गाने बहुत पसंद थे. 'आई यूज़्ड टु सिंग दोज़ सॉंग्स'. हम लोग तेहरान में रहते थे और राज साहब वहाँ आए हुए थे.

यूख़ा: कहाँ?
श: तेहरान में. 'आई वॉज़ इन तेहरान'.

यूख़ा: अच्छा?
श: वहाँ पे, 'बिकॉज़ देअर वर नॉट मॅनी सिंगर्स', मैं गाती थी 'पार्टीज़' में, तो राज साहब (राज कपूर) उधर थे, 'द पार्टी वाज़ इन हिज़ ऑनर', तो मैने गीत गाया तो राज साहब को मेरी आवाज़ बहुत पसंद आई. उन्होने मुझे बुलाकर कहा कि आपकी आवाज़ बहुत 'स्वीट' है, बहुत 'डिफरेंट' है, 'यूनीक' है, तो 'आई टोल्ड हिम' कि आप अपने 'पिक्चर' में गवाएँगे? ही सेड, वाइ नॉट, यू कम टु बॉम्बे. सो, आई वेंट टु बॉम्बे, उनके 'स्टूडियो' में मैं गयी, उन्होने मेरा 'वॉइस टेस्ट' किया, तो उधर आरके में सबको पसंद आया, फिर आरके में उनकी पूरी 'फॅमिली अप्रूव' करती है. फिर राज साहब ने बोला कि आप शंकर जयकिशन से जाकर मिलो. आई वेंट तो शंकर जयकिशन्स ऑफ़िस ऎंड शंकर साहब इमीडीयेट्ली सेंट म्यूज़िक टीचर्स टु माय हाउस. देन आई स्टार्टेड गेटिंग ट्रैनिंग.

यूख़ा: क्या बात है, यह तो एकदम परियों की कहानी जैसे है!
श: जी हां, बिल्कुल, यह तो, यू नो, नोबडी प्लांड दॆट आ ई हॅव टु बिकम अ सिंगर. नही तो क्या होता कि पहले 'कोरस' में गाते हैं, देन दे गो ऎंड सी ऑल म्यूज़िक डाइरेक्टर्स, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, मुझे तो, आई डोंट नो, बट दिस इज़ लाइक अ स्टोरी.

यूख़ा: क्या बात है! तेहरान से मुंबई, यह तो अराउंड द वर्ल्ड हो गया (लाफ्स). अच्छा, आगे बढेंगे लेकिन उससे पहले "तितली उड़ी" सुनेंगे और वो भी आपसे 'लाइव'
श: ओके (शर्माकर मुस्कुराती हैं और गाती हैं) "तितली उड़ी उड़ जो चली...."
------------ --------- --------- -----
सॉंग: तितली उड़ी उड़ जो चली (सूरज)
------------ --------- --------- -----

यूख़ा: ओ हो हो हो... शारदा जी पता है आज मैं एक बात 'कन्फेस' करना चाहता हूं. यह जो गाना है यह मेरे पिताजी को भी बहुत-बहुत पसंद है.
श: इसको 'जेनरेशन सॉंग' भी बोल सकते हैं. इसको अभी के लोग भी पसंद करते हैं. जब भी मैं 'प्रोग्रॅम्स' में जाती हूं तो लोग कहते हैं कि 'मेरी बच्ची ने इस गाने पे 'डान्स' किया', किसी ने मुझसे पूरा 'लिरिक्स' मँगवाया कि 'मेरी बच्ची को चाहिए', सो इट इस गोइग ऑन लाइक दिस.

यूख़ा: वाह! कैसा महसूस होता है कि एक गाना जिसकी उम्र 4-5 दशक हो चुकी है?
श: इट्स रियली सर्प्राइज़िंग बिकॉज़ दिस इज़ अ वेरी सिंपल सॉंग. इसके पीछे ना ऐसा कोई 'डान्स' है, ना कोई 'रोमॅंटिक सीन' था, बहुत 'सिंपल सॉंग' है, एक घोडागाड़ी में जा रही है राजकुमारी और वो गा रही है. और इस गाने में क्या है कि वो अब तक लोगों को 'अट्रॅक्ट' कर रही है!

यूख़ा: शायद इस गाने की मासूमियत है
श: बहुत ही है. 'ऎक्चुली' मैने इस गाने के लिए बहुत 'रिसर्च' किया और 'लास्ट' कुछ सालों में मेरे दिमाग़ में आया कि शैलेंद्र जी कुछ ना कुछ 'फिलॉसोफी' रखते हैं हर गीत में. आत्मा को हम पक्षी या तितली कहते हैं. आत्मा 'वांट्स टु गो टु सोर्स', आत्मा भगवान की तरफ जाना चाहती है, आकाश में जाना चाहती है. लेकिन फूल और पत्ते जो हैं माया की तरह उसको ज़मीन पर खींचना चाहते हैं. लेकिन तितली कहती है कि मुझे जाना है अपने 'सोर्स' में.

यूख़ा: क्या बात है!
श: तो ऐसा 'फिलोसॉफिकल मीनिंग' है गाने का जिसकी वजह से लोगों को अच्छा लग रहा है अभी तक यह गाना.
यूख़ा: दो पक्ष हैं इस गाने के, एक पक्ष है जो आध्यात्मिक है और दूसरा पक्ष है जो थोड़ा सा 'लाइट' है. अच्छा हमें बताइए इस गाने की 'रेकॉर्डिंग' से जुड़ी कोई घटना, कहाँ 'रेकॉर्ड' हुआ था?
श: यह फेमस में 'रेकॉर्ड' हुआ था. उन दिनों एकदम 'लाइव रेकॉर्डिंग' हुआ करती थी. आजकल तो 'कंप्यूटर' में कर लेते हैं, बेसुरा भी है तो सुर में कर लेते हैं, उन दिनों तो बहुत मुश्किल था. जब भी मैं सोचती हूं कि शंकर-जयकिशन ने मुझे किस तरह से गवाया था, 'सी, बिकॉज़ ऑफ देयर केपॅसिटी, आई वाज़ एबल टु सिंग ऑल दोज़ सॉंग्स, यू सी'. अभी तक याद करते हैं. सारे 'म्युज़ीशियन्स' थे.

यूख़ा: कितने 'पीस' का 'ऑर्केस्ट्रा' रहा होगा?
श: 100-150 'म्युज़ीशियन्स', क्योंकि 'वाइयोलिन्स' ही कुछ 50-60 होते थे.

यूख़ा: और शंकर जयकिशन इस बात के लिए जाने जाते हैं.
श: हां, और 'वॉइलिन' में दो-तीन 'पार्ट' होते थे. एक तो 'मेलोडी पार्ट' बजता था, एक 'काउंटरपार्ट' , और एक 'काउंटरपार्ट ओबलिग़ातो' और 'वॉइलिन्स' के साथ 'चेलो, डबल बॅस' यह सब होता था. फिर उसके बाद 'मेन सेक्शन' और 'रिदम सेक्शन'. कुछ 15-20 आदमी 'रिदम सेक्शन' में बैठते थे और 'रिदम कंट्रोलर' अलग होता था, और 'म्यूज़िक' के लिए अलग 'म्यूज़िक असिस्टेंट्स' थे, और 'सिंगर' के लिए अलग. और 'रेकॉर्डिंग' के 'टाइम' में 'सिंगर' को इतनी चीज़ें ध्यान में रखनी पडती थी. बहुत सारे लोग आते थे. 'गेस्ट्स' आते थे, 'प्रेस' आती थी, 'प्रोड्यूसर, डाइरेक्टर', कभी कभी 'स्टार्स' भी आते थे, और 'सॉंग राइटर'.

यूख़ा: इस गाने की 'रेकॉर्डिंग' में कौन कौन कलाकार मौजूद थे?
श: राजेन्द्र कुमार साहब थे.

यूख़ा: क्या बात है!
श: और उनके साथ 'फोटो' भी है.

यूख़ा: क्या बात है! तो 150 साज़िन्दे हैं, सामने 'प्रेस' है, राजेन्द्र कुमार हैं, शंकर जयकिशन हैं, शैलेंद्र जी हैं
श: हां, उधर 'डाइरेक्टर' बैठे हुए हैं, 'प्रोड्यूसर' बैठे हुए हैं, 'डिसट्रिब्युटर' बैठे हुए हैं, 'फाइनॆंसर' बैठे हुए हैं

यूख़ा: ओ हो
श: सबको पसंद आनी चाहिए

यूख़ा: 'स्टेज शो' जैसा हो रहा है बिल्कुल! (लाफ्स)
श: हां, लेकिन 'स्टेज शो' में आप 'लाइव' गा रहे होते हैं तो सब कुछ 'ऎक्सेप्ट' हो जाता है. इधर 'ऎक्सेप्ट' नहीं हो सकता. इधर तो 'साउंड रेकॉर्डिस्ट' आके कहेगा, यू नो, कि साँस आता है, उसको 'कंट्रोल' कर लो, इधर 'म्यूज़िक डाइरेक्टर' आकर कहेंगे कि सुर का ध्यान रखो, फिर 'सॉंग राइटर' कहेंगे कि यह 'वर्ड' ठीक से नहीं आ रहा है. इस तरह से कितनी ही चीज़ों का ध्यान रखना पडता था. फिर 'डाइरेक्टर' आकर कहेगा कि 'एक्सप्रेशन' नहीं आ रहा है, 'डल' आ रहा है, तो 'यू हॅव तो पुट एक्सप्रेशन्स' .

यूख़ा: यह आपका पहला गाना था. कितनी घबराहट थी?
श: ये, पता ही नहीं चला, शंकर जी जयकिशन जी, दोनो थे तो दोनो ने मुझे ऐसे उठाके आसमान में लेके गये. ऐसा लग रहा था की मैं पंछी की तरह उड़ रही हूं.

यूख़ा: क्या बात है! क्या आपको लग रहा था कि यह गाना कामयाबी की इतनी बुलंदियाँ पार कर जाएगा?
श: नो, बट शंकर जयकिशन सॆड दॆट दिस सॉंग इस गोइंग टु बी अ हिट. मैने कहा कि आपको कैसे पता चला? तो बोले कि हम लोगों ने झक नहीं मारे हैं 'फिल्म इंडस्ट्री' में (यूख़ा लाफ्स), हम लोग बोल के गाना 'हिट' करवाके दिखाते हैं. इतना तो उनके अंदर 'केपॅसिटी' थी.

यूख़ा: अच्छा यह बताइए कि क्या आपने संगीत की कोई बाक़ायदा तालीम ली थी क्योंकि आप बता रहीं थीं कि की आप तेहरान में थीं?
श: हां, वहाँ तो ऐसे ही मज़ाक-मज़ाक से गाती थी, बॉम्बे आने के बाद जगन्नाथ प्रसाद गुरुजी और लक्ष्मण प्रसाद गुरुजी और निर्मला जी, जो गोविंदा जी की 'मदर', जो 'टॉप सिंगर' तीन, ऐसे 'टॉप' लोगों से हमारी 'ट्रैनिंग' हुई है और 'अपार्ट फ्रॉम दॆट लाइव रेकॉर्डिंग' में कैसे गाना है, वो तो शंकर जयकिशन के 'म्यूज़िक रूम' में मैने 'ट्रैनिंग' लिया, क्योंकि वहाँ पे नये-नये गीत जो 'कंपोज़' करते थे वो मुझे गाने के लिए कहते थे 'सो दॆट आई बिकम फेमिलियर, यू नो'. सब नये-नये गीत कैसे गाना है, उसको 'एक्सप्रेशन' कैसे देना है.

यूख़ा: तो शंकर जयकिशन का जो 'क्रियेटिव प्रोसेस' है, किस तरह से वो काम करते थे और किस तरह से एक पूरा गाना 'कंप्लीट' करते थे?
श: इसके लिए तो एक किताब ही लिख सकते थे, क्योंकि मेरा तो 'लास्ट' के कुछ दिन उनके साथ उठना-बैठना रहा और 'आई यूज़्ड टु गो टु द स्टूडियो 2-3 टाइम्स अ वीक', जब वो शाम को 'सिटिंग' करते थे, शाम 4 से 8 बजे तो वो 'फ्लोर सिटिंग' करते थे और 'ऎव्रीडे' कुछ न कुछ 'कॉंपोसिंग' का काम चलता था. शैलेंद्र जी और हसरत जी, दोनो बैठे रहते थे, कुछ न कुछ मुखडा, शंकर जी 'ट्यून' बजाते थे, और वो मुखडा कह देते थे तो उसको बिठा देते थे. इस तरह से 'कॉंपोसिंग' का काम चलता था.

यूख़ा: कोई घटना या कोई गाना आपको याद आ रहा है जो बहुत दिलचस्प तरीके से बना था?
श: "यह मुँह और मसूर की दाल"

यूख़ा: वाह!
श: ऐसे ही किसी ने बात करते-करते कहा कि "यह मुँह और मसूर की दाल". शंकर साहब ने बोला कि इसको रखो मेरे लिए किसी गाने में (यूख़ा लाफ्स). और 'इमीडीयेट्ली' वो गाना ऐसे बन गया.

यूख़ा: और बहुत मशहूर हुआ है यह गाना. आप गुनगुनाएँगी हमारे लिए यह गाना?
श: (सिंग्स) "यह मुँह और मसूर की दाल, वाह रे वाह मेरे बांके लाल".
------------ --------- --------- --------- --------- ----
सॉंग: यह मुँह और मसूर की दाल (अराउंड द वर्ल्ड)
------------ --------- --------- --------- --------- ----

यूख़ा: आज जब आप अपने गाने सुनती हैं तो कैसा महसूस होता है?
श: 'वेल', बहुत से गाने तो मुझे 'इंप्रेस' ही नहीं करते हैं, कभी कभी कुछ-कुछ गाने अच्छे भी लगते हैं.
(ब्लॉगर की टिप्पणी: स्वयं शारदाजी द्वारा ईमेल के ज़रिए मुझे 4.11.2009 को भेजा गया भूल सुधार – “दरअसल मैं यूनुसजी द्वारा पूछा गया प्रश्न यह समझ बैठी थी कि आज जब आजकल के गाने सुनती हैं तो कैसा महसूस होता है?”)

यूख़ा: अच्छा आपका सबसे ज़्यादा पसंदीदा गाना कौन सा है आपकी नज़र में आपका खुद का?
श: खुद का, आई थिंक, "चले जाना ज़रा ठहरो"

यूख़ा: क्या बात है!
श: बिकॉज़ दिस इज़ अ यूनीक सॉंग, इस तरह का गाना फिर नहीं बना है.

यूख़ा: इस गाने की 'रेकॉर्डिंग' से भी जुड़ी कोई बात?
श: यह भी मेरा तीसरा या चौथा गाना था, मुकेश जी के साथ 'सेकेंड डुयेट', क्योंकि "दुनिया की सैर कर लो" हो चुका था. मुकेश साहब आके मज़ाक कर रहे हैं 'टु मेक द अट्मॉस्फियर लाइव्ली'. सब से मज़ाक करेंगे, 'मैं तो बेसुरा हूं' ऐसा बोलते हैं कभी-कभी (बोथ यूख़ा ऎंड श लाफ़). और मुकेश जी के साथ जो दूसरा 'डुयेट' है "वो परी कहाँ से लाऊं", उसमें ऐसा था कि तीन 'माइक्रोफोन्स' थे, काफ़ी सारी लडकियां थीं और मैं, सुमन जी और मुकेश जी. वो अंदर आए तो भागने लगे कि इतनी सारी लडकियों के बीच में मैं नहीं गा सकता (यूख़ा लाफ्स).

यूख़ा: वाह वाह, बहुत अच्छा! यह वाला गाना आप गुनगुनाएँगी?
श: (सिंग्स) "वो परी कहाँ से लाऊं, तेरी दुल्हन जिसे बनाऊं".
------------ --------- --------- --------- ----
सॉंग: वो परी कहाँ से लाऊं (पहचान)
------------ --------- --------- --------- ----
एंड ऑफ एपिसोड

2 comments:

Unknown said...

A very good interview. Thanks for uploading.

Unknown said...

शानदार! और गाने में फ़िलोसोफिकल तत्व ज़बरदस्त बताया! शुक्रिया इंटरव्यूवर!

Custom Search